Sabarkantha News || 200 करोड़ की संपत्ति दान कर पति-पत्नी छोड़ रहे ऐशो आराम की जिदंगी, जानिए ऐसा क्यों

Sabarkantha News || 200 करोड़ की संपत्ति दान कर पति-पत्नी छोड़ रहे ऐशो आराम की जिदंगी, जानिए ऐसा क्यों
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Sabarkantha News || गुजरात साबरकांठा जिले के करोड़पति बिजनेसमैन भावेश भाई भंडारी ने पत्नी के साथ सांसरिक सुखों को छोड़कर संयम के पथ पर चलने की ठान ली है। बिजनेसमैन भावेश भाई भंडारी ने अपनी 200 करोड़ की संपत्ति दान कर दी है। उनका बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम है। वे अपना पूरा कारोबार छोड़कर दीक्षा ले रहे हैं।

Sabarkantha News || गुजरात के साबरकांठा जिले (Sabarkantha) में हिम्मतनगर निवासी बिजनेसमैन भावेश भाई भंडारी और उनकी पत्नी ने संन्यास लेने का निर्णय लिया है। भावेश ने अपनी करोड़ों रुपये की संपत्ति दी। उनका लक्ष्य संन्यास है, न कि सांसारिक मोह। यहां रहने वाले भावेश भाई भंडारी एक संपन्न परिवार में पैदा हुए और सभी सुविधाओं से संपन्न हुए। जैन समाज में अक्सर दीक्षार्थियों और गुरुजनों से मिलते थे। दो साल पहले, भावेश भाई के 16 साल के बेटे और 19 साल की बेटी ने दीक्षा लेने का निर्णय लिया था.

वे संयमित जीवन जीना चाहते थे। अब भावेश भाई और उनकी पत्नी ने 2022 में अपने बेटे और बेटी के दीक्षा लेने के बाद संयम अपनाने का फैसला किया है। भावेश भाई भंडारी ने सांसारिक मोह माया से मुक्ति पाई और लगभग 200 करोड़ रुपये की संपत्ति दान में दी। उन्हें अहमदाबाद में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम छोड़कर अचानक दीक्षार्थी बनना पड़ा। जाने-माने दिलीप गांधी ने कहा कि जैन समाज में दीक्षा का बहुत महत्व है। दीक्षा लेने वाले व्यक्ति को भिक्षा मांगकर जीवन चलाना होता है, जिसमें पंखा, AC, मोबाइल और अन्य उपकरणों का त्याग करना होता है। इसके अलावा पूरे भारत में नंगे पांव घूमना होता है।

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बिजनेसमैन ने छोड़ी मोह माया 

गुजरात साबरकांठा जिले के करोड़पति बिजनेसमैन भावेश भाई भंडारी ने पत्नी के साथ सांसरिक सुखों को छोड़कर संयम के पथ पर चलने की ठान ली है। बिजनेसमैन भावेश भाई भंडारी ने अपनी 200 करोड़ की संपत्ति दान कर दी है। उनका बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम है। वे अपना पूरा कारोबार छोड़कर दीक्षा ले रहे हैं। भावेश भाई के 16 साल के बेटे और 19 साल की बेटी ने 2 साल पहले 2022 में ही दीक्षा ले ली थी। अब वे भी संयम के मार्ग पर चलने को तैयार हो गए हैं। 

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भिक्षा मांगकर गुजारेंगे जीवन जैन समाज में दीक्षा का बहुत महत्व होता है। दीक्षा लेना हर किसी के बस की बात नहीं है ये सबसे कठिन तप है। दीक्षा लेने के बाद व्यक्ति को भिक्षा मांगकर गुजारा करना पड़ता है। दीक्षा के बाद संत नंगे पांव ही घूमते हैं। वे ऐशो आराम छोड़ चुके होते हैं। 22 अप्रैल को हिम्मतनगर गुजरात में 35 लोग एक साथ दीक्षा लेंगे। जिसमें भंडारी परिवार भी शामिल है।