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दो भाइयों का अमर प्रेम! एक साथ हुई शादी, एक साथ छोड़ा शरीर, ये कहानी आपकी आंखों में ला देगी आंसू

12:58 PM Feb 04, 2022 IST | Patrika News Desk
UpdateAt: 12:58 PM Feb 04, 2022 IST
दो भाइयों का अमर प्रेम  एक साथ हुई शादी  एक साथ छोड़ा शरीर  ये कहानी आपकी आंखों में ला देगी आंसू
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दुनिया भर से रोजाना ही कोई न कोई ऐसी खबर निकल कर सामने आ ही जाती है, जिसे जानकर अक्सर लोग भावुक हो जाते हैं। वैसे देखा जाए तो भारत विविधता वाला देश है। यहां आपको कई प्रकार की कहानियां सुनने को मिलती हैं, लेकिन आज हम आपको जिस कहानी के बारे में बताने वाले हैं, वह बड़ी ही अनोखी है। यह कहानी राजस्थान के सिरोही जिले में रहने वाले दो भाइयों की है।दरअसल, राजस्थान के सिरोही जिले (Sirohi district of Rajasthan) के रेवदर उपखंड के डांगराली गांव में रहने वाले दो भाई जिनका नाम रावताराम और हीराराम देवासी (Rawataram and Hiraram Dewasi) है,

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वह मरते दम तक साथ रहे। इन दो भाइयों की अंगूठी प्रेम कहानी (love story) की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है। बचपन से ही दोनों भाइयों में इतना प्रेम था कि उनके गांव के आसपास के गांवों में भी मिसाल दी जाती थीं। भले ही आजकल के समय में यह बात सुनने में थोड़ी अटपटी सी लग रही हो परंतु वास्तविकता को नकारा नहीं जा सकता है। रावताराम और हीराराम देवासी, इन दोनों भाइयों के बीच जन्म में भले ही कई सालों का अंतर रहा हो लेकिन इन भाइयों का साथ जीवन भर रहा। संयोग ऐसा है कि दोनों का विवाह भी एक ही दिन हुआ और दोनों ने इस दुनिया को अलविदा भी एक ही दिन कह दिया।

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अंतिम सांस तक भाइयों का साथ
आपको बता दें कि रावताराम और हीराराम ने महज 15-20 मिनट के अंतराल में अंतिम सांस ली। जन्म से ही इन दोनों भाइयों के बीच प्रेम बहुत गहरा था, जिसकी मिसाल पूरे इलाके में दी जाती थी। उनकी मौत कि यह घटना कुछ इस प्रकार घटित हुई कि वह भी आज चर्चा का विषय बनी हुई है। दोनों भाइयों का अंतिम संस्कार भी एक ही जगह, एक साथ किया गया। दोनों भाइयों की मौत से गांव में मातम पसरा हुआ है। हाल ही में घर के दो बुजुर्गों की अर्थियां एक साथ उठीं। रावताराम के बड़े बेटे भीकाजी के कंधो पर पर अब परिवार की जिम्मेदारी आ गई। भीकाजी के जहन में अपने पिता रावताराम और चाचा हीराराम के आपसी प्रेम की वसीयत को संभालने की जिम्मेदारी है। दोनों परिवारों में कुल 11 भाई बहन हैं और पूरे परिवार की जिम्मेदारी अब भीकाजी पर है।

प्रेम और भाईचारे की लोग देते थे मिसाल
जब भीकाराम से पूछा गया तो उन्होंने नम आंखों से मौत के दिन से पहले का किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा कि उनके पिता रावताराम (तक़रीबन 90 वर्ष) और काका हीराराम (तक़रीबन 75 वर्ष) के आपसी प्रेम और भाईचारे के किस्से इलाके भर में मशहूर थे। उन्हें अभी तक यकीन नहीं हो पा रहा है कि इस तरह दोनों एक साथ ही परिवार को छोड़कर चले गए। उन्होंने आगे यह बताया कि उनके काका हीराराम कुछ दिनों से अस्वस्थ थे। लेकिन उनके पिता रावताराम एकदम ठीक थे। पिता जी ने 28 जनवरी को सुबह कुछ खाया नहीं था।

उन्होंने आगे बताया कि जब उनकी मां को यह बात मालूम हुई कि पिताजी ने कुछ नहीं खाया है तो उन्होंने खाने के लिए काफी मनाया। मां के कहने पर उनके पिताजी ने बिस्किट खाए और फिर काका का हाल-चाल पूछा, जिसके बाद वह सो गए परंतु वह सोए तो वापस उठे नहीं। 29 जनवरी की सुबह करीब 8:00 से 9:00 बजे के बीच उन्होंने दम तोड़ दिया। भीकाराम का ऐसा कहना है कि इधर उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा और उधर काका हीराराम ने ठंड लगने का कहकर चारपाई को बाहर धूप में लेने के लिए कहा और कुछ देर बाद करीब 15-20 मिनट के अंतराल पर उन्होंने भी शरीर छोड़ दिया।

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